वेद क़ुरआन
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शरीर की धातुएं असंतुलित हों तो वात, पित्त और कफ़ दोष उत्पन्न हो जाते हैं और आज अक्सर आदमी किसी न किसी दोष की चपेट में हैं. इसी तरह अगर मन के विचार असंतुलित हो जाएँ तो मन विकार का शिकार हो जाता है. मानसिक विकृति का शिकार नर नारी अपने जीवन के अहम फैसले भी ग़लत लेता है और दूसरों को भी ग़लत सलाह देता है. आज आम मज़दूर से लेकर ऊंचे ओह्देदारान तक वैचारिक असंतुलन के शिकार देखे जा सकते हैं. इन में से ज़्यादातर लोग बच सकते थे अगर उनकी परवरिश के वक़्त उनके माता पिता ने उनके मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा होता. माँ की ज़िम्मेदारी बाप के मुक़ाबले थोड़ी ज्यादा है . सभी मर्द बचपन में अपनी माँ के प्रशिक्षण में रहते हैं. अगर माँ अपनी गोद के लाल को सही-ग़लत की तमीज़ दे और हमेशा इन्साफ़ करना सिखाये तो औरतों पर होने वाले ज़ुल्मों को रोका जा सकता है.
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