वेद क़ुरआन
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लोग आन्दोलन चलाते हैं और मुद्दा भी अच्छा उठाते हैं लेकिन सवाल यह है कि अपने प्रभाव को मानने वाले लोगों को बदले बिना पूरे समाज को कैसे बदला जा सकता है ?दरअसल “समाज सुधार का द्वार आत्म-सुधार है”
पिछली पोस्ट इसी उसूल को सामने लाने के लिए लिखी गयी है.
आप इस लेख को पूरे विश्व के सन्दर्भ में देखिये, विशेषकर उन देशों के सन्दर्भ में जहाँ आन्दोलन चल रहे हैं और उन से अराजकता फैल रही है. अगर हरेक समुदाय अपना सुधार कर ले तो बिना अराजकता फैलाए पूरे विश्व का सुधार हो जाएगा.
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