वेद क़ुरआन
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शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया
दोनों के सिलसिले में ये बेहतर कहा गया
ख़ुददारियों की राह पे जो गामज़न रहे
उनको हमारे शहर में ख़ुदसर कहा गया
इक मुख्तसर सी झील न जो कर सका उबूर
इस दौर में उसी को शनावर कहा गया
उसने किया जो ज़ुल्म तो हुआ न कुछ भी ज़िक्र
मैंने जो कीं ख़ताएं तो घर घर कहा गया
मैं ही वो सख्त जान हूं कि जिसके वास्ते
तपती हुई चट्टान को बिस्तर कहा गया
– ताज़ीज़ बस्तवी, रहमत गंज, गांधी नगर, बस्ती
Sourace : http://mushayera.blogspot.in/2012/07/blog-post_10.html
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