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मैं ‘यूनिक हिंदू’ हूँ

वेद क़ुरआन
वेद क़ुरआन
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मैं खुद को ऋषि मनु की संतान और उनका वारिस मानता हूँ . मैं उनके धर्म को अविकारी मानता हूँ . विकार कभी धर्म नहीं होते . मैं यही बताता हूँ और मेरा ऐसा कहना हिंदू धर्म का विरोध करना नहीं माना जाना चाहिए. जिन लोगों को हिंदू धर्म का सुधारक माना जाता है , उन्होने भी विकारों और कुरीतियों का विरोध किया है. मेरा नज़रिया उन सबसे ज़्यादा बेहतर और ज़्यादा स्पष्ट है. मेरा नज़रिया उन सबसे ज़्यादा व्यवहारिक है. जो चाहे आज़मा ले. मैं ‘यूनिक हिंदू’ हूँ .
Source : http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/

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