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मनुष्य का मार्ग और धर्म

वेद क़ुरआन
वेद क़ुरआन
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नूनव्यसे नवीयसे सूक्ताय साधया पथः।प्रत्नवद् रोचया रूचः ।। ऋग्वेद 1:1:8।।

अनुवाद- नये और नूतनतर सूक्तों के लिए पथ हमवारकरता जा, जैसे पिछले लोगों ने ऋचाओं पर अमल किया था।

यज्ञं प्रच्छामि यवमं। सः तद्दूतो विवोचति किदं ऋतम् पूर्व्यम् गतम।कस्तदबिभर्ति नूतनौ।वित्तम मे अस्य रोधसी।। ऋग्वेद 1:105:4।।

अनुवाद- मैं तुझसे सबसे बाद में आने वाले यज्ञ का सवाल पूछता हूँ। उसकी विवेचना वह पैग़म्बर आकर बताएगा। वह पुराना शरीअत का निज़ाम कहाँ चला गया जो पहले से चला आ रहा था ? उसकी नयी व्याख्या कौन करेगा? हे आकाश पृथ्वी! मेरे दुख पर ध्यान दो।

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